अमरावती के सुपुत्र भूषण गवई 14 मई को बनेंगे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सरन्याधीश
– भारत के इतिहास में पहलीबार बार अनुसूचित जाती को मिलेंगा मौका
-निपक्ष न्याय देंगे भारत के लोगो को है आशा
नई दिल्ली — भारत के सर्वोच्च न्यायालय को नया सरन्याधीश (Chief Justice) मिला है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने इस पद की शपथ 14 मई को लेकर इतिहास रचा देंगे। वे देश के पहले दलित सरन्याधीश बनने जा रहे हैं जिनकी नियुक्ति को सामाजिक न्याय और समावेश की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
जस्टिस गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। वे रिपाई नेता रामकृष्ण गवई पूर्व राज्यपाल के सुपुत्र है.उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1985 में एक वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर जस्टिस गवई डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों से प्रेरित रहे हैं।
वे 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए और जून 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने कई अहम फैसले दिए, जिनमें संवैधानिक मूल्यों और मानवाधिकारों को प्राथमिकता दी गई।
उनकी नियुक्ति इसलिए भी खास होंगी क्योंकि वे उन चुनिंदा लोगों में शामिल हैं जो अनुसूचित जाति समुदाय से आते हुए देश की सर्वोच्च अदालत के शीर्ष पद पर पहुंचेगे। यह कदम भारत की न्याय व्यवस्था में प्रतिनिधित्व और विविधता की ओर एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
- मई में होने जा रहें जस्टिस गवई अब सुप्रीम कोर्ट में पारदर्शिता, न्यायिक जवाबदेही और तकनीकी नवाचार जैसे विषयों को प्राथमिकता देंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही है.किसी के भी दबाव में न आकार संविधान को सामने रखकर फैसला देंगे और इतिहास बनायेंगे यह आशा देश के हर नागरिको में लगी है.